आज जहर से भी बदतर हालत में मिलता है पानी जो लापता है। आज जहर से भी बदतर हालत में मिलता है पानी जो लापता है।
बंजर जमीन की छाती में मेहनत से पेड़ उगाकर देखो। बंजर जमीन की छाती में मेहनत से पेड़ उगाकर देखो।
महफ़िलों में आज भी मुस्कुराते चेहरों में तुम नजर आते हो ! महफ़िलों में आज भी मुस्कुराते चेहरों में तुम नजर आते हो !
यूं निराश काले बदल छाए है इस हँसते नीले आकाश पर की मीलों तक बंजर है ज़मीन यूं निराश काले बदल छाए है इस हँसते नीले आकाश पर की मीलों तक बंजर है ज़मीन
अब कहाँ किसी की सुनती है ये दुनिया। मिटाकर वजूद हरियाली का, दम्भ से है मुस्कुराती। अब कहाँ किसी की सुनती है ये दुनिया। मिटाकर वजूद हरियाली का, दम्भ से...
फिर भी मैं पराई हूं तुम्हारे लिए ! फिर भी मैं पराई हूं तुम्हारे लिए !